वैकल्पिक ऊर्जा
ओआईएल नवीन प्रौद्योगिकियों और अवधारणाओं के नए क्षेत्र खोलने और देश की स्थायी ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में आगे कदम बढ़ाने में हमेशा अग्रणी रहा है। हमारे लिए वायु एवं सूर्य केवल प्रकृति की शक्तियाँ मात्र नहीं हैं। यह हमारी अपनी प्रकृति है और हमें अपनी नवीकरणीय ऊर्जा के भविष्य से संबंधित की खोज करने से रोका नहीं जा सकता। ऊर्जा पार्कों का विकास करना, उन्हें प्रचालित व उनका प्रबंधन कार्य संभालना हमारे लिए व्यवसाय मात्र ही नहीं है। यह हमारा विश्व को देखने का अपना तरीका है। नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में विस्तार व नई तकनीकों यथा; हरित हाइड्रोजन व हरित अमोनिया को अपनाते हुए भारत भू-जीवाश्म पर आधारित अपनी आर्थिक निर्भरता को कम करने हेतु प्रयासरत है एवं इस लक्ष्य की प्राप्ति में सहायक के रूप में ओआईएल द्वारा महती भूमिका का निर्वहन किया जा रहा है। अपने एक उद्देश्य के रूप में ओआईएल ने पिछले कुछ वर्षों में वैकल्पिक (नवीकरणीय) ऊर्जा क्षेत्रों, विशेष रूप से पवन और सौर खंडों का विस्तागर किया है और अब तक 188.1 मेगावाट की वाणिज्यिक प्रकृति की नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना की है,जिसमें 174.1 मेगावॉट पवन और 14 मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजनाएं शामिल हैं।
कंपनी ने पवन ऊर्जा के क्षेत्र में कदम रखा है, जिसमें मार्च 2012 में लुदुर्वा, जैसलमेर, राजस्थान में पहली बार 13.6 मेगावाट पवन ऊर्जा विद्युत परियोजना स्थापित की गई, जिसके बाद मार्च 2013 में डागरी, जैसलमेर, राजस्थान में 54 मेगावाट पवन ऊर्जा विद्युत परियोजना को अनुमोदन दिया गया, तीसरी पवन ऊर्जा विद्युत परियोजना 54 मेगावाट क्षमता की थी, जो मार्च 2015 में विभाजित परियोजना के रूप में चालू हुई थी, जिसमें 16 मेगावॉट क्षमता की परियोजना पाटन, गुजरात में और 38 मेगावाट क्षमता की परियोजना चाँदगढ़, मध्य प्रदेश में चालू हुई थी। वित्त वर्ष 2016-17 में, ओआईएल ने 52.5 मेगावाट क्षमता की अपनी चौथी पवन ऊर्जा विद्युत परियोजना शुरू की, जो पुन: विभाजित परियोजना के रूप मे मध्य प्रदेश और गुजरात में स्थापित की गई थी, जिसकी क्षमता कोटिया, गुजरात में 27.3 मेगावाट और उचावास, मध्य प्रदेश में 25.2 मेगावाट थी।
हालांकि, आज की तारीख में आईओएल की पवन ऊर्जा क्षेत्र में उपस्थिंति काफी महत्वपूर्ण है, लेकिन सौर ऊर्जा क्षेत्र में यह मामूली है जो 2014 से 5 मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजना की स्थापना के बाद से धीरे-धीरे सुधर रही है और अन्य 9 मेगावाट क्षमता वाले सौर विद्युत ऊर्जा संयंत्र को रामगढ़, जैसलमेर, राजस्थान में 2016 में स्थापित किया गया है।
सभी अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं (वाणिज्यिक) को संबंधित राज्यों के पावर ग्रिड से सफलतापूर्वक जोड़ा गया है।
स्वयं के उपयोग की ऊर्जा खपत हेतु 0.799 मेगावाट की क्षमता वाले सौर ऊर्जा प्लांटों को भी उपयोग में लाया जा रहा है। क्षेत्रीय मुख्यालय, दुजियाजान में विभिन्न स्थानों पर 08.09.2022 को 0.034 मेगावाट, 0.04 मेगावाट, 0.024 मेगावाट और 0.008 मेगावाट क्षमता वाले सौर ऊर्जा प्लाटों को स्थापित किया गया है।
चालू होने के बाद से, इन स्थायी परियोजनाओं से कंपनी को मूर्त और अमूर्त दोनों रूप में लाभ हुआ है। बिजली की बिक्री करने तथा सरकार द्वारा समय-समय पर शुरू किए गए वित्तीय प्रोत्साहनों के लाभ का निवेश करने से कंपनी के बुनियादी स्तर पर योगदान करने के अलावा,इन परियोजनाओं ने ओआईएल की हरित ऊर्जा को प्रोत्साहित करने तथा दृश्यता और ब्रांड साख दोनों में सुधार किया है तथा आरई पहलों को बढ़ावा देने और ऊर्जा सुरक्षा प्राप्त करने में राष्ट्र की प्रगति में अपना योगदान दिया है।
ओआईएल ने वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान अक्षय ऊर्जा स्रोतों से 121.96 करोड़ रुपए का राजस्व सृजित किया है।
आरई क्षेत्र में ओआईएल का विस्तार पारंपरिक और गैर-पारंपरिक दोनों ऊर्जा समाधानों से भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध ऊर्जा कंपनी बनने के अपने विज़न को प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है। वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों में यह चयनात्मक विविधीकरण कंपनी की रणनीतिक योजना के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण निर्णय था। ओआईएल ने हमेशा से एक सामाजिक और पर्यावरणीय रूप से जिम्मेदार निगमित नागरिक होने का प्रयास किया है और अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में इसका उपयोग देश के विकास के लिए स्थायी ऊर्जा प्रदान करने की दिशा में एक प्रतिबद्ध कदम है। ओआईएल भविष्य में इस तरह की कई परियोजनाओं में भागीदारी करके अपने अक्षय ऊर्जा संसाधनों का विस्तार करने के सफर को जारी रखेगा।
हम, ओआईएल, में एक स्वच्छ भविष्य के निर्माण हेतु कार्य करने के लिए गौरवान्वित हैं ताकि हम आगामी पीढि़यों के हित में सार्थक बदलाव ला सकें।