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ऑयल इंडिया लिमिटेड (ऑयल) अपस्‍ट्रीम क्षेत्र की एक पूर्ण एकीकृत अन्‍वेषण एवं उत्‍पादन कंपनी है जिसकी स्‍थापना भारत में तेल की खोज के साथ सन् 1889 में हुई थी।

एक महारत्न कंपनी के रूप में, ओआईएल भारत सरकार का एक राज्य स्वामित्व वाला उद्यम है, जो पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है और भारत में दूसरी सबसे बड़ी राष्ट्रीय तेल और गैस कंपनी है।

ओआईएल की कहानी भारतीय पेट्रोलियम उद्योग की उन्‍नति एवं विकास का प्रतीक है। भारत के सुदूर पूर्वी क्षेत्र दिग्‍बोई, असम में सन् 1889 में कच्‍चे तेल की खोज से लेकर कंपनी की वर्तमान पूर्ण एकीकृत राष्‍ट्रीय अन्‍वेषण एवं उत्‍पादन कंपनी के रूप में स्‍थापित होने तक इसकी उपस्‍थिति सम्‍पूर्ण ईएण्‍डपी मूल्‍य श्रृंखला में फैली हुई है। यह कंपनी भारत की दूसरी सबसे बड़ी राष्‍ट्रीय ईएण्‍डपी कंपनी है।

ऑयल इंडिया प्राईवेट लिमिटेड की स्‍थापना 18 फरवरी 1959 को भारत के पूर्वोत्‍तर क्षेत्र नाहरकटिया व मोरान में नए खोजे गए तेल क्षेत्रों के विकास एवं विस्‍तार के लिए हुई थी। सन्‍ 1961 में यह बर्मा ऑयल कंपनी लिमिटेड, यूके और भारत सरकार के बीच संयुक्‍त उद्यम कंपनी बन गई। सन्‍ 1981 में ऑयल इंडिया लिमिटेड भारत सरकार के पूर्ण स्‍वामित्‍व वाली एक उद्यम कंपनी के रूप में स्‍थापित हो गई।

Profile

कंपनी की अधिकृत शेयर पूँजी 2000 करोड़ रुपए है। कंपनी की जारी, सब्‍सक्राइब्‍ड और प्रदत्‍त शेयर पूँजी 1084.41 करोड़ रुपए है जिसमें 10 रुपए प्रत्‍येक के 108.44 करोड़ शेयर शामिल हैं। वर्तमान में, भारत सरकार जो इस कंपनी की प्रमोटर है, के पास कंपनी के कुल जारी व प्रदत्‍त पूँजी का 56.66% हिस्‍सा है। शेष 43.44% की इक्विटी पूँजी का हिस्‍सा सार्वजनिक व निगमित निकाय, म्‍यूचुअल फंड, बैंक, एफपीआई, निवासी व्‍यक्तियों आदि के पास मौजूद है। ओआईएल तेल एवं गैस क्षेत्र की वह प्रथम कंपनी है जिसके बांड अंतर्राष्‍ट्रीय प्रतिभूति बाजार, लंदन स्‍टॉक एक्‍सचेंज में 2019 में सूचीबद्ध हुए। ओआईएल ने अपस्‍ट्रीम क्षेत्र में एक अग्रणी तेल एवं गैस कंपनी के रूप में अपनी साख स्‍थापित की है जो विगत 6 दशकों से हाईड्रोकार्बन के अन्‍वेषण कार्य की विरासत को संभाले हुए है एवं देश में उत्‍पादित कुल कच्‍चे तेल एवं गैस उत्‍पादन का 9% भाग इसी के हिस्‍से से आता है। हाईड्रोकार्बन क्षेत्र की सम्‍पूर्ण मूल्‍य श्रृंखला में कंपनी की उपस्थिति महत्‍वपूर्ण रूप में रही है, कंपनी तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) का उत्‍पादन भी करती है और देश भर में फैले पाइपलाइनों के माध्‍यम से कच्‍चे तेल एवं परिष्‍कृत पेट्रोलियम उत्‍पादों का परिवहन भी करती है। कंपनी के देश के अंदर फैले प्रचालन केन्‍द्र असम, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैण्‍ड, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश और राजस्‍थान राज्‍य तथा अंडमान, केरल-कोंकण के अपतटीय इलाके और केजी बेसिन के छिछले जल स्‍तरीय इलाकों आदि में फैले हुए हैं। 31.03.2021 की स्थिति के अनुसार, कंपनी के पास 6 एनईएलपी ब्‍लॉकों में भागीदारी हित (पीआई) हैं जिनमें 4 ब्‍लॉक में यह ऑपरेटर के रूप में एवं शेष 2 ब्‍लॉकों में नॉन-ऑपरेटर के रूप में कार्य कर रही है। भारत सरकार की खुला क्षेत्रफल लाइसेंसिग नीति(ओएएलपी) दौर की बोलियों के माध्‍यम से कंपनी ने अपने रकबे का और अधिक विस्‍तार किया है। ओएएलपी के अंतर्गत ईएंडपी गतिविधियों को प्रचालित करने हेतु कंपनी को 29 ब्‍लॉक प्रदान किए गए हैं जो 53,859 वर्ग कि.मी. में फैले हुए हैं।

पूरे भारत में उ‍पस्थिति के अलावा, ओआईएल के पास विदेशों में सात देशों जैसे रूस, वेनेजुएला, मोज़ाम्बिक, नाइजीरिया, गैबॉन, बांग्‍लादेश और लीबिया के ब्‍लॉकों में भी भागीदारी हित (पीआई) हैं।

ओआईएल के पास अपने स्‍वामित्‍व में प्रचालन कार्य को जारी रखने के लिए ढेर सारी सुविधाएं एवं उपकरण मौजूद हैं जिनकी सहायता से भूकंपीय व जियोडेटिक कार्य, 2डी व 3डी डाटा का संग्रहण, प्रो‍सेसिंग और विश्‍लेषण, ड्रिलिंग, तेल व गैस क्षेत्र का विकास व उत्‍पादन, एलपीजी का उत्‍पादन व पाइपलाइन परिवहन आदि कार्य अन्‍य सहायक सेवाओं की मदद लेते हुए किए जाते हैं ताकि ओआईएल को एक पूर्ण एकीकृत ईएण्‍डपी कंपनी के रूप में स्‍थापित किया जा सके। इसके पास पुराने/ क्षयित होते जा रहे क्षेत्रों में रिजर्वायर प्रबंधन का व्‍यापक अनुभव है एवं साथ ही उन्‍नत तेल रिकवरी (आईओआर)/ विस्‍तारित तेल रिकवरी (ईओआर) प्रचालन कार्यों में विशेषज्ञता भी हासिल है। ओआईएल के पास स्‍वयं के प्रचालन व रखरखाव कार्य के लिए 2000 कि.मी. की ट्रंक व फीडर पाइपलाइन है।

कंपनी द्वारा पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में ऑयल व ओएनजीसीएल द्वारा उत्‍पादित कच्‍चे तेल के नुमालीगढ़, गुवाहाटी, बोंगाईगाँव व बरौनी रिफाईनरियों तक परिवहन कराने हेतु 1157 कि.मी. लंबी कच्‍चे तेल की पाइपलाइन मौजूद है तथा डिग्‍बोई रिफाइनरी तक भेजने के लिए ब्रांच लाइन का उपयोग किया जाता है। कच्‍चे तेल की ट्रंक पाइपलाइन के अतिरिक्‍त, ओआईएल ने नुमालीगढ़ रिफाइनरी से लेकर सिलिगुड़ी तक 660 कि.मी. लंबी उत्‍पाद पाइपलाइन को भी चालूं किया है।

गैर ईएण्‍डपी ऊर्जा मूल्‍य श्रृंखला में विविधता लाने के उद्देश्‍य से कंपनी ने नगर गैस वितरण (सीजीडी) परियोजना में भी अपना कार्य प्रारंभ किया है। 25 मार्च 2021 को ओआईएल ने नुमालीगढ़ रिफाईनरी में अपनी हिस्‍सेदारी को बढ़ाते हुए असम स्थित अत्‍याधुनिक 3 एमएमटीपीए क्षमता वाले रिफाइनरी को अधिग्रहण कर लिया है और ओआईएल, एनआरएल की प्रमोटर व नियंत्रक कंपनी बन गई। इसके अतिरिक्‍त, ब्रह्मपुत्र क्रैकर एंड पॉलीमर लिमिटेड (बीसीपीएल) में भी कंपनी की हिस्‍सेदारी है।

अपनी रणनीतिक पहल के तहत, ओआईएल ने चुनिंदा नवीकरणीय एवं वैकल्पिक ऊर्जा क्षेत्र में भी विस्‍तार किया है तथा पवन ऊर्जा एवं सौर ऊर्जा के क्षेत्र में आरई परियोजनाओं को स्‍थापित एवं चालू करते हुए कुल 188.10 मेगावाट क्षमता की परियोजना की स्‍थापना की है जिसमें पवन ऊर्जा के क्षेत्र में 174.10 मेगावाट की परियोजना व सौर ऊर्जा के क्षेत्र में 14 मेगावाट की परियोजना शामिल हैं।

कंपनी की वित्‍तीय समझदारी अंतर्राष्‍ट्रीय और घरेलू रेटिंग एजेंसियों द्वारा दी गई मजबूत क्रेडिट रेटिंग में भी परिलक्षित होती है। मूडीज इन्‍वेस्‍टर सर्विस ने जहां कंपनी को ‘बीएए3’ (आउटलुक स्‍टेबल) रेटिंग दी है, वहीं फिच रेटिंग्‍स ने ‘बीबीबी-‘ (आउटलुक स्‍टेबल) दिया है जो भारत की सॉवरेन रेटिंग के समकक्ष है। केयर रेटिंग दीर्घावधि और अल्‍पावधि के लिए क्रमशः केयर एएए (आउटलुक स्टेबल) और केयर ए1+ दी गई है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने दीर्घावधि और अल्‍पावधि के लिए क्रमशः क्रिसिल को एएए (आउटलुक स्टेबल) और क्रिसिल ए1+ दिया है। केयर रेटिंग और क्रिसिल दोनों ने कंपनी को अपनी उच्चतम रेटिंग दी है।