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डिगबोई तेल क्षेत्र की खोज और विकास करने वाले शुरुआती तेल निर्माताओं के विशदज्ञान, कौशल और उद्यमिता को विरासत में प्राप्त करने के बाद, ओआईएल ने तेल और गैस क्षेत्रों के विकास और उत्पादन क्षेत्र में क्रमिक विकास किया है।

कंपनी ने उन्नत कूपसक्रियता और सेवातकनीक, आधुनिक सतही उत्पादन सुविधाओं के डिजाइन और संचालन, कृत्रिम लिफ्ट तकनीक और अन्य उन्नत तेल रिकवरी के तरीकों पर आंतरिक विशेषज्ञता विकसित की है। यह भारत की पहली कंपनी है जिसने डाउन डिप वॉटर इंजेक्शन और क्रेस्टल गैस इंजेक्शन द्वारा जलाशय के दबाव का रखरखाव शुरू किया है। इससे कुछ जलाशयों में 50% से अधिक उल्लेखनीय रिकवरी प्राप्त की गई है।

कृष्णा गोदावरी (केजी) बेसिन में उच्च दबाव उच्च तापमान (एचपीएचटी) वाले अन्वेंषी कुओं की ड्रिलिंग में जोखिम और लागत बहुत अधिक होती है तथा समापन क्षेत्र में जोखिम का स्तर सर्वाधिक होता है। एचपीएचटी समापन के लिए जोखिम और अपेक्षित निष्पादन के लिए विशेष इंजीनियरिंग आवश्यिकता और निवेशकी जरूरत होती है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि समापन उपकरण विशिष्ट एचपीएचटी वातावरण में सुरक्षित और उत्पादकता का निष्पादन करेंगे, ओआईएल ने उद्योग विशेषज्ञों के साथ प्रचालन मानकों और उपकरणों के लिए निष्पादन दर की आवश्यकताओं को परिभाषित किया है जो एचपीएचटी कूप परीक्षणों की कठोरता को सहन करेंगे।

कंपनी असम और अरुणाचल प्रदेश में अपने क्षेत्रों से संबद्ध और गैर-संबद्ध गैस दोनों,और राजस्थान में अपने गैस क्षेत्रों से गैर-संबद्ध गैस का उत्पादन करती है। कंपनी उर्वरक, विद्युत, रिफाइनरी, पेट्रोकेमिकल, चाय प्रसंस्करण, घरेलू उपयोग आदि जैसे विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में उपभोक्ताओं को अपनी गैस की आपूर्ति कर रही है।

ओआईएल के परिप्रेक्ष्य में, प्राकृतिक गैस की मांग पिछले कई वर्षों से कई गुना बढ़ गई है। नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड (एनआरएल) को1 एमएमएससीएमडी की प्रतिबद्ध मात्रा में गैस की आपूर्ति फरवरी, 2011 में शुरू हो गई थी। लेपेतकाता, डिब्रूगढ़ में स्थित ब्रह्मपुत्र क्रैकर्स एंडपॉलिमर लिमिटेड (बीसीपीएल) असम के लोगों की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। ओआईएल ने मैसूर ब्रह्मपुत्र क्रैकर और पॉलिमर लिमिटेड (बीसीपीएल) को वित्तीय वर्ष 15-16 से प्राकृतिक गैस की आपूर्ति शुरू कर दी है।

बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए, ओआईएल ने विभिन्न पाइपलाइनों और प्रतिष्ठानों के निर्माण के द्वारा अपने गैस संग्रहण और वितरण आधारभूत ढांचे का निर्माण किया है। इस परियोजना के अंतर्गत कुछ प्रमुख सुविधाओं जैसे केन्द्रीय गैस एकत्रण स्टेशन और उठान स्थणल और गैस पाइपलाइनों का निर्माण किया गया है।

1982 में, कंपनी ने एशिया में पहली बार टर्बो एक्सपेन्डर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए 2.20 एमएमएससीएमडी गैस की प्रोसेसिंग के लिए एलपीजी रिकवरीसंयंत्र की स्थापना की।

ऑयल इंडिया लिमिटेड की पूर्ण रूप से विकसित प्रचालित किए जाने योग्‍य डाउनस्‍ट्रीम यूनिट केवल एलपीजी रिकवरी प्‍लांट ही है। 40 वर्षों से अधिक समय तक, भारत के उत्‍तर पूर्वी क्षेत्र के एक बड़े हिस्‍से को इस प्‍लांट के माध्‍यम से अनवरत रूप से स्‍वच्‍छ घरेलू औद्योगिक ईंधन एलपीजी के रूप में प्रदान किया जाता रहा है तथा यह प्‍लांट एलपीजी की बिक्री तथा घनीभूत की बिक्री के माध्‍यम से कंपनी के राजस्‍व में वृद्धि करता रहा है। चार दशकों के बाद भी प्रमाणित तकनीकी के माध्‍यम से एलपीजी रिकवरी प्‍लांट को उसके प्राकृतिक गैस फ्रैक्‍शेसन यूनिट हेतु टर्बो-एक्‍पेंडर तकनीक के साथ डिजाइन किया गया था। कई वर्षों तक, इस प्‍लांट की सुरक्षा का संवर्धन करने तथा उत्‍पादन की लागत व प्रचालन संबंधी सुगमता में सुधार करने के उद्देश्‍य से विविध नवीनीकरण परियोजनाओं को इस प्‍लांट में पूर्ण किया गया। ओआईएल के एलपीजी के विपणन हेतु आईओसीएल विपणन एजेंसी है। एलपीजी रिकवरी प्‍लांट द्वारा एलपीजी का उत्‍पादन किया जाता है तथा सिलिंडरों और रोड टैंकरों को भरने के लिए इस एलपीजी फिलिंग प्‍लांट में भेज दिया जाता है। घनीभूत को केन्‍द्रीय टैंक फार्म में स्‍थानांतरित किया जाता है, चूँकि कच्‍चे तेल का भौतिक और रासायनिक गुणधर्म समान होता है, यह औसत एपीआई गुरूत्‍व को बढ़ाते हुए कच्‍चे तेल के बहाव की क्षमता में वृद्धि कर देता है जिससे ठंड के मौसम में आसानी होती है।