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लीवरेजिंग टेक्नोलॉजी

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लीवरेजिंग टेक्नोलॉजी

ऑयल इंडिया लिमिटेड भारत में पेट्रोलियम उद्योग की उन्‍नति व विकास का प्रतीक है। ओआईएल के पास भारत में व्‍यापक अन्‍वेषीय व उत्‍पादक रकबे मौजूद हैं। उपरी असम बेसिन में कच्‍चे तेल व प्राकृतिक गैस उत्‍पादों के क्षेत्र में कंपनी अग्रणी उत्‍पादक की भूमिका का निर्वहन कर रहा है, साथ ही राजस्‍थान क्षेत्र से यह कच्‍चे भारी तेल एवं प्राकृतिक गैस का उत्‍पादन भी करती है। भारत में कंपनी के पास 64 प्रचालित रकबे जिसमें 60 तटीय ब्‍लॉक जो व्‍यापक रूप से 49868 वर्ग किमी के दायरे में असम, अरूणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, नागालैंड, मिजोरम, राजस्‍थान, उड़ीसा एवं आंध्र प्रदेश राज्‍य में फैले हुए हैं तथा 4 अपतटीय ब्‍लॉक जो केरल कोंकण, अंडमान और कृष्‍णा गोदावरी के अपतटीय क्षेत्रों के 13,230 वर्ग किमी के दायरे में फैले हैं। अप्रैल 2022 के अनुसार, कंपनी के पास घरेलू क्षेत्र में शेष रिकवरी योग्‍य वॉल्‍यूम (O+OEG) 191.31 एमएमटीओई मात्र ही शेष है। अब, कंपनी के ईएण्‍डपी संबंधी प्रयास केवल भारत तक में ही सीमित नहीं हैं बल्कि वैश्विक पदचिन्‍ह बनाते हुए कंपनी 7 देशों के लगभग 44,300 वर्ग किमी के दायरे में अपनी 10 परियोजनाओं में कार्य कर रही है।

अन्वेषण से शुरुआत करके क्षेत्रीय विकास तथा उसके बाद जलाशय प्रबंधन और निगरानी के द्वारा ओआईएल ईएंडपी चक्र के सभी क्षेत्रों में कार्य कर रहा है। ओआईएल का आंतरिक क्षेत्रीय दल आधुनिक प्रौद्योगिकी सहित 2डी, 3डी, 2डी-3सी, 3डी-3सी और 4डी भूकंप संबंधी आंकड़े प्राप्त कर रहा है, तथा विविध अन्वेषण और विकास चुनौतियों को पूरा करने के लिए सर्वाधिक प्रभावी उपकरणों का उपयोग कर रहा है। ओआईएल ने अत्याधुनिक साजो-सामान और जटिल भूवैज्ञानिक ढांचे वाले सीमावर्ती क्षेत्रों में अपने अन्वेषण प्रयास बढ़ाए हैं। मिजोरम के दुर्गम क्षेत्र में, 3डी भूकंपीय डेटा प्राप्त करने के लिए नए सिस्लोप 3डी दृष्टिकोण,उद्योग के विशेषज्ञों द्वारा भूवैज्ञानिक मानचित्रण, उन्नत भौगोलिक सर्वेक्षण और हाइड्रोकार्बन संभावनाओं की पहचान करने के लिए थर्मल इमेजिंग सहित कई भूवैज्ञानिक अध्ययन किए गए हैं।

ओआईएल का ऊपरी असम और अरुणाचल प्रदेश की फोल्ड‍-बेल्ट में हाइड्रोकार्बन के अन्वेषण और उत्पादन का लंबा इतिहास रहा है। इस दिशा में, कंपनी ने निरंतर नई पद्धतियों और प्रौद्योगिकियों को शामिल किया है ताकि फोल्डश-बेल्ट के जटिल भूविज्ञान के सटीक मानचित्रण और इमेजिंग की दिशा में अपने प्रयासों को आगे बढ़ाया जा सके।

जटिल भूविज्ञान की बेहतर जानकारी प्राप्त् करने के लिए इस संबंध में हाल ही में एक नई पहल के रूप में उच्च घनत्व वाला दीर्घ ऑफसेट भूकंपीय सर्वेक्षण किया गया है। ओआईएल इन सीमा क्षेत्रों के अन्वेषण के लिए अनुपलब्धता और आधुनिक साजो-सामान की आगामी चुनौतियों से निपटने के लिए केबल-रहित भूकंपीय डाटा अधिग्रहण प्रौद्योगिकी को लागू करने वाली भारत की पहली ईएंडपी कंपनी होगी।

ओआईएल के दुलियाजान स्थित क्षेत्रीय मुख्यालय में इमेजिंग, मॉडलिंग, विपवर्तन और भूकंपीय और अन्य भौगोलिक आंकड़ों के विश्लेषण के लिए भूदृष्टि नामक एक अत्याधुनिक और सभी सुविधाओं से लैस भूकंपीय इमेजिंग और मॉडलिंग केंद्र है। यह केंद्र हाई एंड उच्च निष्पादन कम्प्यूटिंग सिस्टम भूदृश्य पर अवस्थित है जो युवाओं और अनुभवी भौगोलिक-वैज्ञानिकों के सामूहिक ज्ञान के माध्यम से उत्कृष्ट गुणवत्तापरक परिणाम प्रदान करने के लिए एक उपयुक्तं ठोस भू-भौतिकीय अनुप्रयोग सॉफ़्टवेयर के व्यापक दायरे से जुड़ा है।

ओआईएल में भू-वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग डेटा और मॉडल का विश्लेषण और व्याख्या करने,कई स्रोतों से डेटा के संयुक्त दृश्यों का सृजन करने और सहयोगी 3डी –बहु-आयामी परिवेश की बेहतर योजना बनाने के लिए एक अत्याधुनिक वर्चुअल रिएलिटी सेंटर कल्‍पलोक है। इस केंद्र ने बेहतर निर्णय लेने तथा अन्वेषण और विकास के जोखिमों को कम करने के लिए,ठोस दृश्य और सहयोगी परिवेश का व्यापक इस्तेमाल किया है।

आरएंडडी के क्षेत्र में ओआईएल ने हाल ही में "जयवालया" नामक एक अत्याधुनिक पेट्रोलियम जैव प्रौद्योगिकी केंद्र की स्थापना की है। हाल ही में,कंपनी ने "टैंक के तल में जमा कीचड़ को ढीला करने के लिए विलायकों की जांच हेतु एक प्रणाली और विधि" तथा पैकर्स सहित तेल के कुएं में गाद को जमने से रोकने की विधि के लिए दो अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट आवेदन दायर किए थे।

व्यवस्थित जलाशय प्रबंधन और निगरानी प्रथाओं को अपनाने से प्रयोजन आधारित उपयुक्तं प्रौद्योगिकी ने ओआईएल को पुराने और परिपक्व क्षेत्रों से पर्याप्ति मात्रा में तेल और गैस का उत्पादन करने में समर्थ बनाया है। इन सुनियोजित और बेहतर निगरानी वाली ईओआर/ आईओआर योजनाओं,जिनमें वॉटर फ्लडिंग, वॉटर इंजेक्शन और पॉलीमर फ्लडिंग शामिल हैं, ने रिकवरी को 35-50%तक बढ़ा दिया है। डायकोम क्षेत्र में प्रायोगिक समय-विलंब (4डी) भूकंपीय अध्ययन के उत्साहजनक परिणामों ने अन्य उत्पाकदन जलाशयों में ऐसे और अध्ययन करने को प्रोत्साहित किया है। ओआईएल ने भूमिगत हाइड्रोकार्बनों का पता लगाने के लिए विभिन्न उत्पा्दन स्थतलों में 3डी-3सी भूकंपीय अध्ययन शुरू किए हैंतथा इस प्रकार उत्पादन और भंडार को भी बढ़ाया है। ओआईएल ने हैरियट-वॉट यूनिवर्सिटी, ईडिनबर्ग, यूके के साथ कार्बनयुक्त पानी की रिकवरी करके पुराने क्षेत्रों में तेल की रिकवरी में सुधार करने के लिए एक सहयोगी अनुसंधान परियोजना शुरू की है।

ओआईएल ने अपरंपरागत हाइड्रोकार्बन के अन्वेषण और दोहन के लिए कई पहलें कीं हैं और शेल संसाधनों और सीबीएम ऊर्जा विकल्पों में कदम रखा है। इसने 2012 में कोलोरोडो, अमेरिका में डेनवर-जुल्सबर्ग बेसिन में कैरिजो ऑयल एंड गैस इंक की तरल समृद्ध शेल परिसंपत्तियों में 20% अप्रचालित हिस्सेदारी हासिल की है। लगातार खराब प्रदर्शन के कारणवश सन् 2021 में इसको परित्‍याग कर दिया गया। सतत क्रियाशील परामर्शी अध्ययन से बारेल शेल में ऊपरी असम के परिचालन क्षेत्रों में शेल गैस की संभावना का पता चलता है। डीजीएच द्वारा शेल गैस नीति की घोषणा के बाद, ओआईएल ने अपनी पहल की रूपरेखा तैयार की और व्यवहार्यता अध्ययन और शेल गैस की खोज और दोहन के लिए लाभ वाले क्षेत्रों की पहचान करने के लिए एक समर्पित बहु अनुशासनिक दल तैनात किया है।

ओआईआईएल में अपने कार्य कार्यक्रमों को पूरा करने के लिए चार्टर-हॉयर्ड रिग का प्रयोग करने के अलावा,अपने ड्रिलिंग प्रचालनों में सहायता हेतु 11 ड्रिलिंग रिग्स, 11 वर्क-ओवर रिग्स हैं। ऊर्जा खपत रखरखाव सुनिश्चिरत करने और व्यय को कम करने के लिए ओआईएल में ड्रिलिंग प्रभावशीलता और रिग सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु हाई एंड एसी वेरिएब्ल फ्रीक्वेंसी ड्राइव्स (वीएफडी) ड्रिलिंग रिग्सा हैं।

इसके अलावा, ओआईएल में हाइड्रोकार्बन के अन्वेषण और उत्पादन के लिए अपनी लॉगिंग आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए डाउनहोल लॉगिंग टूल सहित अत्याधुनिक वायरलाइन लॉगिंग यूनिटें हैं।